Tuesday 27 October 2015

No title hindi poem

उनके चेहरे पे ऐसा नूर था,
मानो चाँद से कोइ परी आई हो।
उनकी हँसी में एक ऐसी चहक थी,
जेसे सारी दुनिया मे खुशी छाई हो।
 उनकी मौजुदगी मे एसी महक थी,
जैसे चारो ओर गुलाब के फूल खिले हो।
 पर जाने क्यों उनकी आखों मैं जैसे,
एक छुपी नमीं सी थी जैसे,
मेहफिल मे भी तन्हाई सी गुंज रही हो।
                             -Nazish
Edited by a friend. :) 

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